Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 24
पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 24
चाचर : 1 : 24
इन्द्र कृष्ण द्वारे खड़े , लोचन ललचि लजाय !
शब्द अर्थ :
इन्द्र = विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण ! कृष्ण = मुलभारतिय हिन्दू ! द्वारे खड़े = माया के दास ! लोचन = नैन , दृष्टी ! ललची = आशा , तृष्णा , वासना भरी ! लजाय = बिना लाज शर्म किये !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में कहते है विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी राजा इन्द्र और अन्य अपने लंपट वृत्ती और लालचीपन के लिये प्रसिद्ध है वैसे ही स्वदेशी नागवंशी कृष्ण भी अनेक स्त्री की इच्छा के लिये जाना जाता है और वह भी इसी कारण बदनाम हुवा , जब की उसे धर्मग्यानी भी माना जाता ! माया मोह इच्छा तृष्णा वासना के सब गुलाम है ! द्वार पर हाथ जोडे खडे है ! माया मोह के मार से वही बचे है ज़िन्होने वासना कामना लालच का पूर्ण त्याग किया हो और शिल सदाचार का मुलभारतिय हिन्दूधर्म विचार स्विकार किया हो !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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