Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Vipramatisi : 23
पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : विप्रमतीसी : 23
विप्रमतीसी : 23
एैके मटिया एक कुम्हारा , एक सबन का सिरजनहारा !
शब्द अर्थ :
एैके मटिया = एक पृथ्वी , एक धरती ! एक कुम्हारा = एक निर्माता ! एक सबन = सब का एक ! सिरजनहार = मालिक , परमात्मा , चेतन राम !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर इस विप्रमतीसी मे बताते है की इस संसार का निर्माता एक परमात्मा तत्व चेतन राम है , दो य़ा अनेक भगवान नही ! वह निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम है जो सार्वभौंम सत्य शिव सुन्दर है वो चेतन तत्व हम सब मे है और हम सब उसी मे है !
कबीर साहेब उसे कुम्हार ,सिरजनहारा भी कहते है और केवल एकमात्र है बताते हुवे कहते है उस परमात्मा ने कोई वर्णवाद जातीवाद ऊचनीच भेदाभेद अस्पृष्यता छुवाछुत नही बनाई ना ऐसा कोई धर्म , धर्मग्रंथ परमात्मा ने बनाया ! ये विषमता , शोषण भेदाभीद ,वर्ण जाती वेवस्था विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी पांडे पूजारी भट ब्रहमान की काली करतुत है ज़िन्होने आपने निजी स्वार्थ के लिये बनाई है ये कोई धर्म नही अधर्म है , विकृती है ! ये हिन्दूधर्म नही ! हिन्दू , हिन्दुस्तान , हिन्दूधर्म विरोधी है क्यू की सनातन पुरातन आद्य आदिवाशी मुलभारतिय हिन्दू धर्म समतावादी मानवतावादी विश्व का पहला धर्म है !
धर्मविक्रमादित्य कबीसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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